कच्छ में पहली बार मशरू बुनाई को राष्ट्रीय पुरस्कार, 3 शिल्पकारों को मिली सफलता | The Voice TV

Quote :

सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

National

कच्छ में पहली बार मशरू बुनाई को राष्ट्रीय पुरस्कार, 3 शिल्पकारों को मिली सफलता

Date : 08-Jul-2025

नई दिल्ली, 8 जुलाई। हस्तशिल्प के लिए खास पहचान रखने वाले कच्छ जिले के 3 हस्तशिल्प कारीगरों को वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। विशेष बात यह है कि मशरू बुनाई के लिए कच्छ को पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार मांडवी तालुका के डोण गांव के कलाकार भोजराज दामजी धोरिया को प्राप्त हुआ है। अन्य दो कारीगरों को खरड़ बुनाई और कच्छी शॉल के लिए यह पुरस्कार घोषित किए गए हैं।

कच्छ के तीन कला-शिल्पकारों के नाम वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित हुए हैं। 1300 वर्ष पुरानी मशरू हस्तकला के लिए मांडवी तालुका के डोण गांव के भोजराज दामजी धोरिया, खरड़ बुनाई के लिए मूल कूरन और वर्तमान में कुकमा में रहने वाले सामत तेजशी तथा कच्छी हस्तकला की शॉल के लिए भुजोडी की दिनाबेन रमेश खरट को राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा हुई है।

पोलियोग्रस्त भोजराज भाई को पुरस्कार मिलने पर परिवार में खुशी की लहर

कच्छ और पाटण में पहले मशरू बुनाई होती थी। राजशाही काल में मांडवी में बड़े पैमाने पर यह कार्य होता था। उस समय मांडवी तालुका में 500 बुनकर थे। समय के साथ यह कला लगभग समाप्त हो गई थी। 1990 में केवल उनका परिवार इस कार्य को करता था। एक पैर से पोलियोग्रस्त होने के बावजूद भोजराज भाई ने मेहनत और लगन से काम जारी रखा। उन्हें यह पुरस्कार मिलने पर उनका परिवार और मशरू के अन्य कारीगर अत्यंत प्रसन्न हैं।

लुप्त होती खरड़ बुनाई को जीवनदान मिला

लुप्त हो रही खरड़ बुनाई को अथक मेहनत से जीवित रखने वाले मूल कूरन और वर्तमान में कुकमा निवासी सामत तेजशी को भी वर्ष 2024 का राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित हुआ है। 2018 का राज्य पुरस्कार, उनके पिता तेजशीभाई को 2019 का राष्ट्रीय पुरस्कार, 2013 का संत कबीर पुरस्कार, 2021 का गुजरात पर्यटन पुरस्कार, 2019 का इंटरनेशनल क्राफ्ट अवार्ड, 2023 का इंडियन फैशन अवार्ड, 2020 का राज्य पुरस्कार और 2008 का कच्छ बिजनेस एसोसिएशन पुरस्कार, उनके पिता हीराभाई को 2022 का राज्य पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं।

इसके अलावा, भुज तालुका के भुजोडी क्षेत्र के वणकरवास में रहने वाली दिनाबेन रमेश खरट को हाथ से बुनी कच्छी शॉल के लिए वर्ष 2024 का राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित हुआ है।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement