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भाषा केवल संवाद नहीं, वह हमारी अस्मिता हैः ओम प्रकाश माथुर

Date : 14-Jul-2025

"समकालीन परिदृश्य में लोक भाषाएं, साहित्य एवं संस्कृति-विशेष संदर्भ: पूर्वोत्तर भारत" विषयक परिसंवाद

गंगटोक, 14 जुलाई। राजभवन सिक्किम, साहित्य अकादेमी नई दिल्ली एवं हिंदी विभाग, सिक्किम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को आशीर्वाद भवन में "समकालीन परिदृश्य में लोक भाषाएं, साहित्य एवं संस्कृति-विशेष संदर्भ: पूर्वोत्तर भारत" विषय पर एक विशेष परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर ने मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता की।

राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा केवल संवाद नहीं, वह हमारी अस्मिता है। जब कोई भाषा विलुप्त होती है, तो उसके साथ एक पूरी संस्कृति और सभ्यता भी खो जाती है। उन्होंने भारतीय भाषाओं के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां 11 भाषाओं को शास्त्रीय दर्जा प्राप्त है।

राज्यपाल ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए साहित्य अकादमी को बधाई दी और कहा कि लोक भाषा, साहित्य एवं संस्कृति पर केंद्रित यह परिसंवाद आज के समय की मांग है। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि वर्तमान वैश्वीकरण के दौर में, जब स्थानीय भाषाएं एवं परंपराएं संकटग्रस्त हैं, ऐसे आयोजनों से समाज को अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है।

आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ के. श्रीनिवास राव ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि लोक संस्कृति का संरक्षण सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने तथा पारस्परिक सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत आवश्यक है। वैश्वीकरण के इस दौर में अपनी सांस्कृतिक जड़ों को संजोए रखना और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है।

कार्यक्रम में विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की साहित्यकारों की उपस्थिति रही। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के प्रतिनिधि विद्वानों ने अपने राज्य के संदर्भ में अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम भाषायी चेतना, सांस्कृतिक विविधता और विलुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण की दिशा में एक सशक्त संकल्प था।

इस दौरान वक्ताओं ने अपने मंतव्य रखते हुए क्षेत्रीय भाषाओं की चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार साझा किए।

इस कार्यक्रम में प्रो. देवराज, प्रो. माधव हाड़ा, प्रो. ब्रजरतन जोशी, सिक्किम विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति प्रो. अभिजीत दत्ता, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रदीप के. शर्मा, डीन प्रो. रोजी चामलिंग, राइटर-इन-रेजिडेंस डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, एस.डी. ढकाल प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री, भीम ठान,अध्यक्ष, हिन्दी साहित्य सेवा समिति, नेपाली साहित्य परिषद के अध्यक्ष हरि ढुंगेल सहित कई गणमान्य विद्वानों, शोधकर्ताओं एवं साहित्यप्रेमियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

आखिर में अकादेमी के उपसचिव डॉ देवेंद्र कुमार देवेश ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण में अकादेमी की भूमिका को रेखांकित किया।

 
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