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सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा देने वाली Starlink के भारत में लॉन्च का रास्ता हुआ साफ, कंपनी ने सरकार की शर्तें स्वीकार कीं

Date : 12-Nov-2024

इसके पीछे एलन मस्क का इस साल के अमेरिकी चुनावों पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। भारतीय GMPCS (सैटेलाइट ब्रॉडबैंड) लाइसेंस के लिए स्टारलिंक का आवेदन अब मंजूरी के एक और कदम करीब पहुंच गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एलन मस्क की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी ने "सैद्धांतिक रूप से" भारत के डेटा लोकलाइजेशन और सुरक्षा मानकों को मानने पर सहमति व्यक्त की है। इन मानकों के तहत, सैटेलाइट ऑपरेटरों को डेटा स्थानीय स्तर पर स्टोर करना और खुफिया एजेंसियों के लिए डेटा एक्सेस उपलब्ध कराना जरूरी होता है। यह शर्तें दूरसंचार विभाग (DoT) से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य हैं।

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि स्टारलिंक ने DoT की प्रमुख शर्तों को स्वीकार कर लिया है, जिससे उसकी भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा को लॉन्च करने का रास्ता अब स्पष्ट होता नजर रहा है। एलन मस्क की कंपनी ने सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए सहमति जताई है, जिससे स्टारलिंक का भारत में लाइसेंस आवेदन अब एक कदम और आगे बढ़ सकता है।

 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे एलन मस्क का इस साल के अमेरिकी चुनावों पर बड़ा असर हो सकता है। दरअसल, मस्क ने इस साल डॉनल्ड ट्रम्प का खुलकर समर्थन किया और उनके प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लिया। हालांकि, स्टारलिंक ने अभी तक इन शर्तों को पूरा करने पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

जैसा कि हमने बताया, DoT के प्रमुख दिशानिर्देशों के अनुसार, भारत में काम करने वाली सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियों को सभी डेटा देश के भीतर ही स्टोर करना होता है। इसके अलावा, सुरक्षा एजेंसियों को डेटा की आवश्यकता होने पर उसे शेयर करना भी अनिवार्य है। ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज (GMPCS) लाइसेंस के तहत, मामूली आवेदन शुल्क के साथ ट्रायल स्पेक्ट्रम प्राप्त कर सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि स्टारलिंक को यह प्रमाणित करना पड़ सकता है कि सुरक्षा एजेंसियां जरूरत पड़ने पर डेटा को कैसे इंटरसेप्ट कर सकती हैं।

 
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