मंदिर श्रृंखला:- कालिका मंदिर Date : 30-Dec-2024 भारत अपने कीर्तिमान कहानियों में गौरवशाली संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के कारण लोकप्रिय और प्रसिद्ध है | यहाँ अनेक ऐसे स्थान हैं जिनका विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है, जिनमे से एक चित्तौड़गढ़ भी है | जो भारत के सबसे बड़े किले के कारण विख्यात है | यह किला लगभग 700 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है | वहीं दूसरी ओर यहाँ का अत्यंत प्राचीन कालिका माताजी मंदिर भी काफी लोकप्रिय है| कलिकामाता मंदिर को मूलतः 8वीं शताब्दी में सिसोदिया राजवंश के राजा बप्पारावल ने बनवाया था| जो सूर्य देवता को समर्पित है। लेकिन जब किला पर मुगलों (अलाउद्दीन खिलजी) द्वारा आक्रमण किया तब उन्होंने भगवान सूर्य की प्रतिमा एवं मन्दिर को खंडित कर दिया। बहुत समय तक मंदिर और मूर्ति इसी क्षतिग्रस्त स्थिति में ही रहा। तत्पश्चात 14 वीं शताब्दी में सूर्यमंदिर के खंडहरों से इसे काली मंदिर के रूप में पुनर्निर्मित किया गया । यहां कालिका माता की मूर्ति स्थापित की गई,और तब से यह मंदिर कालिका माता मंदिर के नाम से जाना जाने लगा | यह मंदिर चित्तौड़गढ के किले में पूर्वी भाग व रानी पद्मिनी महल के पास स्थित है। यह मंदिर प्रतिरा स्थापत्य शैली को दर्शाता है, मंदिर की छत, खंभों और द्वारों पर जटिल आकृति प्रदर्शित होता है | इस मंदिर परिसर के पास आयोजित होने वाले वार्षिक मेले के दौरान मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालू दर्शन के लिए आते हैं इसके अलावा, यहां नवरात्रि और दीपावली जैसे उत्सवों की धूम रहती है, जो इस शहर की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। यह माता मंदिर सभामंडप पारंपरिक स्थूल स्तंभों पर खड़ा है जिन पर घट- पल्लव पत्र-लता, मकर, कीर्ति मुख, कीचक अभिप्राय इत्यादि का अलंकरण किया गया है | सभामंड़प अलग-अलग खण्डों में विभक्त है जिनमें भिन्न प्रकार के कमल पुष्पों को उकेरा गया है जो स्पष्ट रूप से सभा-मंडप की छत को बनाने की गुप्तकालीन परंपरा की याद दिलाते हैं |