प्रेरक प्रसंग:- ईश्वर की एक सदी, इंसान की एक रात | The Voice TV

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सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

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प्रेरक प्रसंग:- ईश्वर की एक सदी, इंसान की एक रात

Date : 21-Jan-2025

नित्य की नाई आज भी हजरत इब्राहीम अपने तम्बू के दरवाजे पर बैठे हुए थे कि कोई राहगीर गुजरे तो बुलाकर उसका आतिथ्य करें | इतने में उन्होंने देखा कि जिन्दगी और सफर से थका-मांदा सौ बरस का एक बूढ़ा राहगीर लाठिया टेकता हुआ उन्हीं की ओर चला आ रहा है | इब्राहीम ने बड़े प्यार से उसका स्वागत किया, उसके पाँव धोये और उसे बैठकर खान परोसा | लेकिन उन्हें यह देखकर ताज्जुब हुआ कि बूढ़े ने न तो प्रार्थना की, न ईश्वर को धन्यवाद दिया, बल्कि एकदम खाने पर हाथ साफ करना शुरू किया | उन्होंने बूढ़े से पूछा, “बाबा, क्या तुम ईश्वर की इबादत नहीं करते ? “बूढ़े ने उत्तर दिया, “मैं तो अग्नि की पूजा करता हूँ | मैं किसी दूसरे ईश्वर को नहीं मानता | यह सुनकर हजरत इब्राहीम आगबबूला हो गए और उन्होंने बूढ़े को उसी क्षण धक्का देकर तम्बू से निकाल दिया- यह भी न सोचा कि उसे खाने पर से उठाया जा रहा है, जबकि रात गहरी हो चुकी है और चारों तरफ बियाबान रेगिस्तान है |

बूढ़े के चले जाने के बाद ईश्वर ने इब्राहीम को पुकारा और उनसे पूछा कि बुढ़ा अजनबी कहाँ गया ? इब्राहीम ने उत्तर दिया, “भगवन् मैंने ही उसे निकाल दिया, क्योंकि वह तुम्हारी इबादत कतई नहीं करता |”

इस पर भगवान् बोले, “इब्राहीम ! वह बूढ़ा हमेशा मेरी तौहीन करता है, फिर भी मैं इसे सौ साल सहता चला आ रहा हूँ | तो क्या तुम एक एक रात के लिए भी नहीं सह सकते थे,” और इब्राहम को अपनी भूल महसूस हुई | उन्होंने ईश्वर से क्षमा मांगी |

 
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