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" साक्षरता दुःख से आशा तक का सेतु है " — कोफी अन्नान

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चाणक्य नीति:- स्पष्टवादी बनें

Date : 06-Nov-2024

 निस्पृहो नाधिकारी स्यान्न कामी भंडनप्रिया |

नो विदग्ध: प्रियं ब्रूयात स्पष्ट वक्ता वंचक: ||

आचार्य चाणक्य स्पष्टवक्ता के गुणों की चर्चा करते हुए कहते हैं, कि विरक्त व्यक्ति किसी विषय का अधिकारी नहीं होता, जो व्यक्ति कामी नहीं होता, उसे बनाव श्रृंगार की आवश्यकता नहीं होती| विद्वान व्यक्ति प्रिय नहीं बोलता तथा स्पष्ट बोलनेवाला ठग नहीं होता |

अर्थात् जिस व्यक्ति को दुनियादारी से वैराग्य हो जाता है, उसे कोई कार्य नहीं सौंपना चाहिए | बनने-संवारने व्यक्ति कामी होता है | क्योंकि दूसरों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ही श्रृंगार किया जाता है | अत: जो व्यक्ति कामी नहीं होता उसे श्रृंगार से प्रेम नहीं होता | प्रकाण्ड विद्वान व्यक्ति सदा सत्य बात कहता है | वह प्रिय नहीं बोलता | साफ-साफ बातें करनेवाला व्यक्ति कपटी नहीं होता |

 
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