निस्पृहो नाधिकारी स्यान्न कामी भंडनप्रिया |
नो विदग्ध: प्रियं ब्रूयात स्पष्ट वक्ता न वंचक: ||
अर्थात् जिस व्यक्ति को दुनियादारी से वैराग्य हो जाता है, उसे कोई कार्य नहीं सौंपना चाहिए | बनने-संवारने व्यक्ति कामी होता है | क्योंकि दूसरों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ही श्रृंगार किया जाता है | अत: जो व्यक्ति कामी नहीं होता उसे श्रृंगार से प्रेम नहीं होता | प्रकाण्ड विद्वान व्यक्ति सदा सत्य बात कहता है | वह प्रिय नहीं बोलता | साफ-साफ बातें करनेवाला व्यक्ति कपटी नहीं होता |