हिन्दू धर्म के अनुसार अन्य तीर्थों की तरह ही पुष्कर के पवित्र सरोवर में भी स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सरोवर
तीर्थराज’ के नाम से प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर, सभी तीर्थस्थलों का राजा कहलाता हैं। इस सरोवर में डुबकी लगाने पर तीर्थयात्रा सम्पन्न मानी जाती है, ऐसी मान्यता है। अर्द्ध गोलाकार रूप में लगभग 9-10 मीटर गहरी यह झील 500 से अधिक मंदिरों और 52 घाटों से घिरी हुई है। राजस्थान आने वाला प्रत्येक देशी व विदेशी पर्यटक, पुष्कर घूमने और ब्रह्मा जी के दर्शन करने जरूर आता है।
ब्रह्मा मंदिर
पूरे विश्व का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर में स्थित है। संगमरमर से निर्मित, चाँदी के सिक्कों से जड़ा हुआ, लाल शिखर और हंस (ब्रह्मा जी का वाहन) की छवि, वाले मंदिर में ब्रह्मा जी की चतुर्मुखी प्रतिभा, गर्भगृह में स्थापित है। इसी मंदिर में सूर्य भगवान की संगमरमर की मूर्ति, प्रहरी की भाँति खड़ी है। इस मूर्ति की विशेषता यह है कि सूर्य भगवान की मूर्ति जूते पहने दिखाई दे रही है।
गुरूद्वारा सिंह सभा
गुरूद्वारा सिंह सभा पुष्कर के पूर्वी भाग में स्थित है यह 19वीं सदी की शुरूआत में पहले और दसवें गुरू - श्री गुरू नानक देव जी और श्री गुरू गोविन्द सिंह जी की यात्रा की समृति में बनाया गया था।
वराह मंदिर
वराह मंदिर पुष्कर का एक प्राचीन मंदिर है। 12वीं शताब्दी के शासक राजा अन्नाजी चौहान द्वारा निर्मित यह मंदिर भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह को समर्पित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक राक्षस (हिरण्याक्ष) धरती को जल की गहराई में ले गया था। जहां से वराह ने उसे बचाया था। यह पुष्कर का एक जाना माना मंदिर है।
सावित्री मंदिर
ब्रह्मा मंदिर के पीछे, ऊँची पहाड़ी पर सावित्री मंदिर है जो कि ब्रह्मा जी की पहली पत्नि थीं। मंदिर तक पहुँचने के लिए सुविधाजनक सीढ़िया बनी हुई हैं। ऊपर चढ़कर मंदिर से नीचे की ओर झील, मंदिर और रेत के टीलों का विहंगम दृश्य बेहद सुन्दर दिखाई पड़ता है। ऐसी किंवदंती है कि ब्रह्मा जी ने पुष्कर में अपना यज्ञ करने के लिए, गायत्री से दूसरा विवाह किया था। इससे नाराज होकर पहली पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया, जिसके फलस्वरूप ही पूरे विश्व में, ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है - पुष्कर में। अब सावित्री मंदिर पर ’रोप-वे’ की सुविधा उपलब्ध है