23 अप्रैल—यह तारीख केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक विचार है। एक अवसर है पुस्तकों, पठन-पाठन और बौद्धिक स्वाधीनता को सम्मान देने का। यही दिन है जब महान नाटककार विलियम शेक्सपीयर और स्पेनिश साहित्यकार मिगुएल डी सरवेन्टीस का निधन हुआ था। दोनों ही साहित्य के ऐसे स्तंभ हैं, जिनकी रचनाएँ विश्व की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनूदित हुई हैं।
इन्हीं साहित्य मनीषियों की स्मृति में यूनेस्को ने 1995 में विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस की शुरुआत की। भारत में यह उत्सव 2001 से मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है—पठन-पाठन को बढ़ावा देना, लेखकों के बौद्धिक अधिकारों की रक्षा करना, और समाज को विचारशील बनाना।
किताबें: सबसे सच्ची साथी
कहते हैं—"किताबें इंसान की सबसे सच्ची दोस्त होती हैं।" और वास्तव में, पुस्तकें केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि संस्कृति, नैतिकता और आत्मनिर्माण का माध्यम होती हैं।
जैसा कि लेखिका टोनी मोरिसन ने कहा—
“कोई ऐसी पुस्तक जो आप दिल से पढ़ना चाहते हैं, लेकिन जो लिखी न गई हो, तो आपको चाहिए कि आप ही इसे जरूर लिखें।”
इतिहास की गवाही देता 23 अप्रैल
मध्यकालीन स्पेन में प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे को फूल और पुस्तक उपहार में देते थे। 23 अप्रैल साहित्यिक जगत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन शेक्सपीयर, सरवेन्टीस, गारसिलआसो डे ला वेगा, व्लादिमीर नोबोकोव और जोसेफ प्ला जैसे अनेक साहित्यकारों का जन्म या निधन हुआ।
यूनेस्को द्वारा चुनी गई यह तिथि साहित्यिक चेतना और सांस्कृतिक समर्पण का प्रतीक बन चुकी है। हालाँकि इंग्लैंड और आयरलैंड में इसे 3 मार्च को मनाया जाता है।
ज्ञान के भंडार: पुस्तकालय और दुर्लभ कृतियाँ
भारत के कई पुस्तकालय आज भी दुर्लभ और ऐतिहासिक पुस्तकों को संजोए हुए हैं:
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सर्वोदय साहित्य भंडार (स्थापना: विनोबा भावे, 1960): यहाँ गांधी, विनोबा, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की किताबें और बाल साहित्य विशेष रूप से उपलब्ध हैं। उद्देश्य है—युवाओं को संस्कारित, ज्ञानवान और चरित्रवान बनाना।
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शा. श्री अहिल्या केन्द्रीय पुस्तकालय (स्थापना: 1961): 65,000 से अधिक पुस्तकों का भंडार, जिनमें संविधान की मूल प्रति, ब्रिटेन और भारत का इतिहास, एमएफ हुसैन के चित्रों की किताबें और इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका जैसी दुर्लभ पुस्तकें शामिल हैं।
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डेली कॉलेज लाइब्रेरी: यहाँ महाभारत (4 भाग), रामायण (2 भाग), बर्ड्स ऑफ एशिया, The King and Queen in India (1911-12) जैसी कई अद्भुत और ऐतिहासिक कृतियाँ मौजूद हैं।
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महात्मा गांधी पुस्तकालय (नेहरू पार्क, 1968 से संचालित): 28,545 पुस्तकों और 6,592 सदस्यों के साथ यह पुस्तकालय एक शैक्षणिक दीपस्तंभ है।
प्रेरक विचार: किताबों के संदर्भ में कुछ अनमोल कथन
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“बुद्धि की किताब का पहला अध्याय ईमानदारी है।” – थॉमस जेफरसन
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“कोई भी किताब जो बच्चे को पढ़ने का आदान-प्रदान सिखा दे, वह सबसे अच्छी किताब है।” – माया एंजेलोउ
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“हर किताब बच्चों की किताब है, अगर बच्चा उसे पढ़ सके।” – मिच हेडबर्ग
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“एक किताब खत्म करना, एक अच्छे दोस्त को छोड़ने जैसा है।” – विलियम फीदर
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“बिना कुछ सीखे आप एक किताब नहीं खोल सकते।” – कन्फ्यूशियस
किताबें मिटती नहीं, बनती हैं संस्कारों की नींव
डॉ. जीडी अग्रवाल कहते हैं—"किताबों का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता।" वे केवल एक माध्यम नहीं, समाज का दर्पण, संवाद का साधन, और संवेदना का स्रोत हैं। डिजिटल युग में भी उनकी भूमिका अटूट है।
किताबें केवल पढ़ी नहीं जातीं, वे जी जाती हैं।