खलीफा हजरत अली राजकीय कागजात देख रहे थे कि कुछ सरदार किसी निजी कार्य के सम्बन्ध में उनसे मिलने आये।
हजरत अली जिस दिये की रोशनी में कागज देख रहे थे, उसे उन्होंने तुरन्त बुझा दिया और एक दूसरा दिया जलाकर उन सरदारों से बातें करने लगे। यह देख उन सरदारों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। जब सरदारों की बातचीत पूरी हुई, तो हजरत अली ने दूसरा दिया बुझाकर पहला जलाया और फिर कागजात देखने लगे। अब तो वे सरदार अपना कुतूहल न रोक सके। उन्होंने उन दोनों दियों को जलाने का प्रयोजन पूछा। हजरत अली ने उत्तर दिया, "जिस समय आप आये थे, मैं सरकारी तेल की रोशनी में सरकारी काम कर रहा था। आप ही कहें, निजी बातों में सरकारी तेल कैसे जलाया जा सकता है ? आपके आने पर मैंने अपने घर का दिया जलाया था।"