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बड़ा बनना है तो दूसरों को उठाना सीखो, गिराना नहीं - अज्ञात

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"चाणक्य नीति: बुद्धिमान वही जो हर स्रोत से सीखता है"

Date : 14-May-2025

सिंहादेकं बकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात् ।

वायसात्पंच शिक्षेच्च षट् शुनस्त्रीणि गर्दभात् ॥

यहां आचार्य चाणक्य सीखने की बात किसी भी पात्र से सीखने का पक्ष रखते हुए कहते हैं कि सिंह से एकबगुले से एकमुर्गे से चारकौए से पांचकुत्ते से छः तथा गधे के सात बातें सीखनी चाहिए।

चाणक्य ने बताया है कि सीखने को तो किसी से भी मनुष्य कुछ भी सीख सकता है पर इसमें भी मनुष्य जिनसे कुछ गुण सीख सकता है उनमें उसे शेर और बगुले से एक-एकगधे से तीनमुर्गे से चारकौए से पांच और कुत्ते से छः गुण सीखने चाहिए।

 

इसका मूल भाव यह है कि व्यक्ति को जहां से भी कोई अच्छी बात मिलेसीखने में संकोच नहीं करना चाहिए। यदि नीच व्यक्ति के पास भी कोई गुण है तो उसे भी ग्रहण करने का यत्न करना चाहिए। 

 
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