प्रत्युत्यानं च युद्धं च संविभागश्च बन्धुषु ।
स्वयमाक्रम्य भोक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात् ॥
यहां आचार्य चाणक्य मुर्गे से सीखने योग्य चार महत्त्वपूर्ण बातों की चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि समय पर जागना, लड़ना, भाइयों को भगा देना और उनका हिस्सा स्वयं झपटकर खा जाना, ये चार बातें मुर्गे से सीखें।
उनका कहना है कि मुर्गे की चार विशेषताएं हैं-तड़के उठ जाना, अन्य मुर्गों से लड़ना, उन्हें झपटकर भगा देना तथा उनका हिस्सा स्वयं खा जाना। मुर्गे से यही चार बातें सीखनी चाहिए और व्यक्ति के जीवन में इनका महत्त्व मानवीय दृष्टि से मूल्यवान है।