महाराष्ट्र के भोरगिरि गांव खेड़ से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर और उत्तर-पश्चिम पुणे से 110 कि.मि की दूरी पर पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर अवस्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इसी स्थान से भीमा नामक नदी भी बहती है। भगवान शिव के उन सुप्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल है जिनमें पूरे ब्रह्मांड की शक्ति का वास माना जाता है। शैव परंपरा से संबंध रखने वालों और भोले के भक्तों के लिए यह स्थान बहुत महत्वूर्ण है जिनके दर्शन किए बिना भक्तों को तृप्ति नहीं मिलती है।
शिव पुराण के अनुसार भीम नाम का राक्षस अपनी माता के साथ अकेला जंगल में रहता था। जब वह बड़ा हुआ तब उसने अपनी माता से पूछा कि उसके पिता कौन और कहां है। तब उसकी माता कर्कटी बताया कि तुम्हारे पिता का नाम महाबली कुंभकरण है जिसका वध श्री राम ने किया।
कुंभकरण के मृत्यु के बाद कर्कटी ने दोबारा विराध नामक राक्षस से विवाह किया और विराध नामक राक्षस का वध भी भगवान श्रीराम ने किया। इसके बाद उसकी माता कर्कटी अपने माता पिता के साथ रहने लगी उसके माता-पिता ने अगस्त्य मुनि के एक शिष्य को अपना आहार बनाना चाहा अगस्त्यमुनि उन्हें वही भस्म कर दिया।
उनकी मृत्यु के बाद वह भीमा को लेकर जंगल में रहने लगी जब भीमा को अपने माता द्वारा अपने पिता और परिवार जनों के मृत्यु का कारण पता चला। तब वह बहुत क्रोधित हुआ और फिर वह श्री राम का वध करने का निश्चय किया और ब्रह्मा जी का 1000 वर्षों तक कठोर तपस्या की, भीमा की कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी खुश होकर प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा तब भीमा ने विजय होने का वरदान मांगा।
वरदान पाते ही भीमा ने देवताओं पर भी अत्याचार करना शुरू किया और सभी को हराना शुरू किया देव लोक के साथ-साथ उसने पृथ्वी पर भी अत्याचार करना शुरू किया। कामरूप के जिले राजा भगवान शिव के अनन्य भक्त थे राक्षस भीम ने राजा को भी बंदी बना लिया और कारागार में डाल दिया कामरूपेस्वर राजा को शिवलिंग की पूजा करते देख राक्षस भीम क्रोधित हुआ और तलवार से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया।
ऐसा करने पर शिवलिंग से स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए उसके बाद राक्षस भीम और भगवान शिव के बीच भयानक युद्ध हुआ। जिसमें राक्षस भीम की मृत्यु हुई फिर सभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना किया उसी स्थान पर हमेशा के लिए शिवलिंग के रूप में विराजमान हो।
भगवान शिव आग्रह स्वीकार करके उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए। इस शिवलिंग की स्थापना देवता गण पूजा अर्चना और जलाभिषेक द्वारा किए थे। इस स्थान पर भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग नाम पड़ा।
रोचक तथ्य
- शिव पुराण के अनुसार सूर्योदय के बाद जो भी यहां सच्ची श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- सावन के महीने में इस स्थान पर भक्तों की भारी संख्या में भीड़ लगती है इस मंदिर के बगल में एक नदी है जिसे भीमा नदी कहते हैं।
- भीम ने ब्रह्मा जी को प्रसन करने के लिए 1000 वर्षों तक सह्मादी पर्वत पर तब किया था।
- ऐसा माना जाता है कि राक्षस भीम और भगवान शिव की लड़ाई के बाद भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने के एक बूंद से भीमा रथी नदी का निर्माण हुआ है।
- यहां पहाड़ियों के आसपास में जंगली वनस्पतियां एवं प्राणियों की दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं।
- इस मंदिर के पास ही एक कमलजा मंदिर भी है जो की बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर माना गया है क्योंकि कमलजा माता पार्वती का अवतार है।
- यहां पर गुप्त भीमाशंकर, हनुमान क्षील, साक्षी विनायक आदि प्रसिद्ध स्थल देखने को मिलेंगे।